Mamata Banerjee on PM Awas Yojana: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते गुरुवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए बड़ी घोषणा की है। ममता बनर्जी ने कहा कि, आवास योजना के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से पैसे की जरूरत नहीं है। ममता ने कहा कि 12 लाख लोगों को पक्के आवास के लिए राज्य सरकार अपनी तरफ से पैसा देगी। सीएम बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आवास योजना में राज्य सरकार के साथ भेदभाव के आरोप लगाते हुए ये बाते कहीं। ममता ने कहा कि, केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में ग्रामीण आवास योजन के लिए कोई राशि नहीं दी है।
ममता ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
ममता ने कहा कि, केंद्र सरकार इस योजना में 100 फीसदी पैसा तो देती नहीं है, लेकिन इस योजना का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना रख दिया है। राज्य सरकार 40 फीसदी पैसा देती है, फिर भी इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों पर तरह-तरह की शर्तें लगाती है। ममता ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उनका आवास योजना का नाम भी बंगाल से अलग होता है। राज्य सरकार का हक का पैसा तो देती नहीं है, लेकिन इसके जरिये राजनीति जरूर करती है।
30 दिसंबर तक मिलेगी पहली किस्त
राज्य सचिवालय नवान्न में पत्रकारों से बातचीत में ममता ने कहा कि बिना केंद्र सरकार की मदद के ही बंगाल सरकार ने 50 लाख से ज्यादा लोगों के लिए आवास बनाए हैं। अभी बंगाल में 36 लाख कच्चे घर हैं, लेकिन जल्द ही सबके पास पक्का घर होगा। 12 लाख परिवारों को बांग्ला आवास योजना के तहत 15 दिसंबर से 30 दिसंबर तक पहली किश्त भेज दी जाएगी। बाकी के 24 लाख आवास भी हम 2-3 साल में बना लेंगे। ममता ने कहा कि बंगाल में कुल 36 लाख मिट्टी के घर हैं। इनमें से 12 लाख परिवारों को पहले चरण में राज्य सरकार दिसंबर से पहली किश्त की राशि देगी। बाकी 24 लाख परिवारों को भी उन्होंने तीन साल के भीतर आवास के लिए राज्य सरकार की तरफ से राशि देने का वादा किया।
‘बांग्लार बारी’ के नाम से जाना जाएगा आवास
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि, राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले आवासों का कोई अलग नाम नहीं होगा। सरकार सिर्फ घर बनाने के लिए पैसा देगी। राज्य सरकार के पैसे से बनने वाले घरों को सिर्फ ‘बांग्लार बारी’ के नाम से जाना जाएगा। ममता ने कहा कि, बंगाल में सबको घर देने में हमें थोड़ा समय लगेगा क्योंकि हमें पैसे का इंतजाम करना होगा। हमारे पास रिजर्व बैंक तो है नहीं कि हम भी पैसे छाप लें।